उन्नाव और कट्ठुआ केस के बाद आज देश के दिग्गज हस्तियां कह रही है, शर्म आ रही हैं।पर किस बात पे शर्म आ रही है आप सभी को, “बालात्कार की कार्यवाही न होने पे, नेताओ के भाषण पे, धर्म के मसले पे या राजनितिक शोर से?”क्या कोई ऐसा है जिसको इस बात से शर्म आ रही है की, “ कैसे हो रहा है ये बालात्कार देश की बेटियों के साथ? ” नहीं! ऐसा कोई नहीं
Read moreAuthor: Rajshree Priyadarshini
Masti ka full package, full of life.
बचपन को जीने दो!
“ये दौलत भी ले लो ये शौहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन, वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी।” जगजीत सिंह जी के इस गीत के पीछे बहुत गहरे भाव हैं। आज हकीक़त में बचपन खो गया है। कुछ दिखावे की चादर में छुप गया, कुछ अमीरी की बोझ से दब गया और जो थोड़ी बहुत पदचिन्ह बची है, उसे हम अपने हाथों
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